The Great Rana Punja Bhil and his Garasia Army


सायद आपने 300 movie देखि हो। उसमे जो Spartons की सेना थी वेसी खूंखार, दमदार और जाबांज़ सेना आपको लगता होगा की सिर्फ Hollywood की फ़िल्म में ही हो सकती हे। पर सायद आपको ये नहीं मालुम होगा की ऐसी ही सेना आजसे 500 साल पहले हलदिगाती की लड़ाई में मौजूद थी। जी हां राणा पूंजा के नेतृत्व में लड़ने वाली सेना गरासिया।

 

16वि सताब्दी में जब महाराणा प्रताप का राज्य मेवार मुग़ल सेना के आक्रमणों की वजह से पूरा खत्म हो चूका था। तब महाराणा प्रताप अरवल्ली के जंगल में जाके इस भूमि पर बसने वाले सबसे वीर योद्धा के कबिले के पास मदद के लिए जा पहोंचे।

 

अब ये गरासिया कोण हे कहा से थे ये भी इतिहासकारो ने अलग अलग theory दी हे। कुछ कहते हे की ये आदिवासी थे जो की अरावली के जंगल में बस्ते और कुछ कहते हे की ये वो लोग थे जो की अपनी भूमि से बेहद प्यार करते और राजा और उनकी आर्मी को ट्रेन करते। उदय सिंह, महाराणा प्रताप और अमर सिंह का राजतिलक भी इन गरासिया के लोगों के खून से होता।

 

अब जब 1576 में फिरसे हलदिगाती की लड़ाई होने वाली थी तब महाराणा प्रताप को सिर्फ इस राणा पुंजा की भील गरासिया सेना का ही सहारा था। सिर्फ 9000 की इस सेना के सामने 86000 मुग़ल की फ़ौज थी।मुकाबला एक के सामने 9 का था। ये मुग़ल की फ़ौज 5 टुकड़ी में बटी हुई थी। साथ में इन मुग़ल के पास हाथी, गोड़े और तोफ भी बहुत थी। पर सामने गरासिया की सेना के पास सिर्फ भाले, तलवार और तीर कमान के अलावा कुछ भी नही था। पर जब युद्ध हुआ और सबसे भयानक और खूंखाए लड़ाई में जांबाज़ और खूंखार इन आज के आदिवासी गरासिया आर्मी ने लोगो 86000 में से सिर्फ 12000 मुग़ल को जिन्दा रहने दिया और मुग़ल की पांच टुकड़ी में से सिर्फ सैयद हासिम बारराह और माधो सिंह की टुकड़ी ही बच पायी क्योंकि उन्होंने सामने से गुटने टेक दिए। ये अकबर की सबसे बड़ी और ज़िल्लत भरी हार थी।

 

ये हार जो थी वो अकबर को बोहत चुभी इसीलिए अकबर ने अरवल्ली के नज़दीक ही छुप कर हमला कर लिया। तब सिर्फ महाराणा प्रताप की जान और अपने घर और पवत्रि जंगल को तबाह होने से बचाने के लिए गरासिया ओ ने खुद अपनी जान दाव पर लगादी पर महाराणा प्रताप और अरवल्ली की गिरीमाला को एक खरोच तक नहीं आने दी। पुंजा भील ने स्वयं महाराणा का कवच और मुकुट पहनके मुग़ल सेना को चकमा दिया और महाराणा प्रताप को सही सलामत अरवल्ली के जंगल बिच मेहफ़ूज़ जगह पर ले गए। इस बहादुरी और सहाशिक कार्य और गरासिया की वीरता को देख महाराणा प्रताप ने पुंज भील को राणा का ख़िताब दिया जो की राजपुताना भूमि पे महाराणा के बाद दूसरा सबसे बड़ा सामान होता हे।

 

महाराणा प्रताप के मारने के बाद स्वयं राणा पुंजा भील ने महाराणा के पुत्र अमर सिंह को तैयार किया और 17 साल की उम्र में अपने खून से उसका राजतिलक करके आधे मेवार को वापस जीत लिया। राणा पुंजा भील इतिहास के सबसे महान सेनापत्ति थे। आज भी उदैपुर में लोगो और स्मारक में एक तरफ महाराणा प्रताप होते हे तो दूसरी तरफ राणा पूंजा। आज भी स्मारक में आगे राजपूत तलवार लिए होते हे तो दूसरी तरफ आदिवासी गरासिया तीर कमान लिए। आज राणा पूंजा भील और गरासिया सेना के वंसज डूंगरपुर, बांसवारा, पाली और गुजरात के साबरकांठा और अरवल्ली में बस्ते हे। पर आज इन आदिवासी गरासिया की महानता और वीरता को किसी ने भी नहीं सराहा। सायद इसीलिए आदिवासी हमेसा निस्वार्थ भाव से अपनी भूमि और वन की रक्षा करता हे क्योंकि वो पैसे और जागीर के नहीं लालची नहीं हे।

 

खेर जो भी हो पर पता नहीं इन आदिवासी गरासिया को अपना इतिहास याद क्यों नहीं हे। आदिवासी गरासिया को अपने इस रंगीन और महान इतिहास के बार में पता होना चाइये अपने पूर्वज की दास्ता गरासिया को अपने बचो को कहानी के तोर पे सुनानी चाइये। पर अफ़सोस आज ये समुदाय सबसे ज्यादा illiterate हे और अपना इतिहास तो दूर इन्हें ढंग की रोजगारी भी नहीं मिल रही।

 


0 comments:

Post a Comment

 

Popular Posts

प्रतिक्रिया...

भलरत्रैमासिक हे आदिवासी समाजासाठी असून त्यात आपणास सुचणारे अपेक्षित बदल सुचविण्याचा अधिकार सर्वांना आहे. आपल्या सुचना किंवा प्रतिक्रिया bhalarmasik@gmail.com वर किंवा ९८९०१५१५१३ या नंबरवर Whats App करा.

Total Pageviews

Contributors

My photo
I am a freelance writer and love to write basically about Tribal Culture and Tribal History. Even I also like to write about thoughts of Gadge Maharaj. Trekking is my hobby and photography is one of the part of it. Social awareness is a necessity in todays era, so love to talk to the tribal people. Shivaji Maharaj, Birsa Munda, Tantya Mama Bhil, Raghoji Bhangare etc. are my inspirations and Abdul Kalam is my ideal person. I have many friends and everybody is eager to work for our society.

Vidrohi Adivasi

Followers